
जिंक की कमी को दूर करने में सक्षम है चावल की किस्म-स्पूर्थी Publish Date : 11/08/2025
जिंक की कमी को दूर करने में सक्षम है चावल की किस्म-स्पूर्थी
भारत की कुल आबादी का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा, जिसमें विशेषरूप से महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग लोग शामिल हैं, जिंक की कमी से जूझ रहे हैं। अब कृषि वैज्ञानिकों ने जिंक से भरपूर धान की की एक नई किस्म (जीएनवी-1906) को विकसित किया है। धान की यह किस्म इस चुनौति से लड़नें में सक्षम सहायक सिद्व हो सकती है।
व्यवसायिक खेती के लिए इस किस्म को जारी किए जाने के बाद अब किसानों के लिए इस किस्म का बीज भी उपलब्ध है, ताकि इस नई किस्म की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा सके।
अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, आईसीएआर-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान और कृकृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, रायचूर ने कर्नाटक के रायचूर और तेलंगाना के जलगोंड़ा जिले के मर्रिगुडेंग गाँव से इस किस्म के बीज को बांटने की शुरूआत की है।
स्पूर्थी के पॉलिश किए गए चावल के दानों में 26 पीपीएम तक जिंक होता है, जो कि 12 से 16 पीपीएम युक्त चावल की मौजूदा किस्मों से अधिक है।
‘‘अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार कार्यक्रम में धान की नई किस्म स्पूर्थी को व्यवसायिक खेती के लिए अनुमोदित किया गया है। पिछले तीन वर्षों में परीक्ष्ण पास करने वाली चावल की यह एकमात्र जिंक बॉयोफार्टिफॉइड किसम के रूप में प्रचारित की जा रही है।’’