अब खाण्ड़सारी यूनिट्स भी गन्ने का उचित दाम को होंगी बाध्य      Publish Date : 10/05/2025

अब खाण्ड़सारी यूनिट्स भी गन्ने का उचित दाम को होंगी बाध्य

गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य वृद्वि के बाद केन्द्र सरकार ने गन्ना किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण और बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने शुगर कंट्रोल आर्डर में बदलाव करते हुए अब खाण्ड़सारी को भी इसमें शामिल कर लिया है।

सरकार के इस निर्णय के बाद खाण्ड़सारी बनाने वाली यूनिट्स के लिए भी किसानों को गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य देना अनिवार्य हो जाएगा। इसके सम्बन्ध में खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि 1966 के शुगर नियंत्रण कानून में संशोध कर 500 टन प्रतिदिन तक की पेराई क्ष्मता रखने वाली खांड़सार चीनी निर्माण करने वाली यूनिट्स को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त संशोधित आदेश का शीघ्र ही लागू कर दिया जाएगा। इस कानून का उद्देश्य घरेलू स्थिरता और चीनी क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले नियामक ढाँचे को सरल एवं सुव्यवस्थित बनाना है।

दरअसल, देश में एक बहुत बड़े तबके ने सामान्य चीनी का उपयोग बंद कर देसी खांड़ का उपयोग करना आरम्भ कर दिया है। इस पहल से खांड़सार यूनिट्स का निरंतर विस्तार हो रहा है और अभी तक खांड़सारी उद्योग शुगर कंट्रोल आर्डर के अन्तर्गत नही आता था। इसके अभाव में खांड़सारी यूनिट्स के मालिक किसानों को गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य देने के लिए बाध्य नहीं थे, परन्तु इस संशोधन के बाद वह ऐसा नहीं कर पाएंगे और अब उन्हें गन्ना किसानों को एफआरपी देनी ही होगी।

                                                   

वर्तमान में भारत आठ लाख टन चीनी का निर्यात कर सकता है

खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा के अनुसार, दुनिया का अग्रणी चीनी उत्पादक देश भारत सितंबर माह में समाप्त होने वाले 2024-25 के सत्र में आठ लाख टन तक चीनी का निर्यात कर सकता है, जो कि 10 लाख टन की स्वीकृत सीमा से कम है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक देश से तीन लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है और लगभग 60,000 टन चीनी निर्यात के लिए बंदरगाहों पर उपलब्ध है।

खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्विनी श्रीवास्तव ने बताया कि देश में करीब 95,000 टीसीडी की क्षमता वाली 373 खांड़सारी युनिट्स संचालित की जा रही हैं। जबकि इनमें से 66 यूनिट्स की पेराई क्षमता 500 टीसीडी से भी अधिक है।

उन्होंने कहा कि ऐसी यूनिट्स को दो माह के अंदर राष्ट्रीय एकल विन्डों पर अपना पंजीकरण कराना होगा। खाद्य मंत्रालय के द्वारा खांड़सारी या जैविक चीनी के जैसे भ्रामक नामें के तहत विपणन को रोकने के लिए इस संशोधित चीनी नियंत्रण आदेश में कच्ची चीनी को भी शामिल किया गया है।