धान की फसल को बकानी रोग से बचाएं      Publish Date : 11/08/2025

                धान की फसल को बकानी रोग से बचाएं

                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि इन दिनों खेतों में धान की फसल खड़ी हुई है और बारिश भी लगातार हो रही है। इसलिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है।

यदि उनकी धान की फसल में बकानी रोग का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो फसल को इस रोग से बचाने के लिए समय पर ही उचित उपाय करें जिससे आपकी फसल खराब होने से बच सके। बासमती धान की फसल में फयूजेरियम वर्टिसिलिआइडस या फयूजोकोरी नामक फफूंद के कारण बकानी रोग लगता है।

मिट्टी में मौजूद फफूंद पौधे की जड़ों में पहुंचने से रोग फैलता है। रोगग्रस्त पौधे की जड़ों या फिर उनकी निचली गाँठो पर गुलाबी या सफेद रंग की रूई जैसी फफूंद दिखाई देती है, जिसके कारण धान के पौधों की वृद्धि रुक जाती है।

                                                         

ऐसे में संक्रमित पौधों को तुरंत ही खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए। इससे बचाव के लिए उचित फसल चक्र अपनायें, जिससे मिट्टी में मौजूद फफूंद की मात्रा को कम किया जा सके।

                                                           

संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन उर्वरक का खेत में प्रयोग करें। कार्बेन्डाजिम और मैंकोजब, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने और खेतों को नियमित निगरानी करते रहें और यदि लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत ही बचाव के उपाय करने से लाभ प्राप्त होता है। यदि आप उपरोक्त बातों पर ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से आपकी बासमती धान की खेती अच्छी हो सकेगी।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।