धान की बेहतर पैदावार के लिए धान की खेती में बरतें हेतु प्रभावी सावधानियां      Publish Date : 06/07/2025

धान की बेहतर पैदावार के लिए धान की खेती में बरतें हेतु प्रभावी सावधानियां

                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता

धान की खेती में अच्छी उपज के लिए खेत की तैयारी, बीज उपचार और खरपतवार नियंत्रण जैसे उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी अधिक लाभ होता है।

धान की खेती भारत के किसानों की आय का मुख्य स्रोत है, लेकिन बेहतर उत्पादन और लाभ के लिए कुछ अहम सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी है। यदि किसान बीज बोने से पहले खेत की तैयारी और बीज का उपचार सही तरीके से करें, तो उन्हें न केवल अच्छी उपज मिलती है, बल्कि फसल बीमारियों और कीटों से भी सुरक्षित रहती है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और सरकारी योजनाओं का सही लाभ उठाकर किसान अपनी मेहनत को और अधिक सफल बना सकते हैं। हमारे आज के इस में धान से जुड़ी सभी अहम जानकारियों के बारे में विस्तार से जानकार प्रदान की जा रही है, जिससे कि किसान इससे लाभान्वित हो सकें।

खेत की सही तैयारी करना

                                                     

धान के बीज बोने से पहले खेत की जुताई अच्छे तरीके से करनी चाहिए। ऐसा करने से मिट्टी नरम होती है और बीज अंकुरण में मदद मिलती है। इसके बाद खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए प्रति एक कट्ठा (करीब 3 डिसमिल) क्षेत्र में 1.5 किलोग्राम डीएपी (क्।च्) और 2 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए. इससे पौधे को शुरुआती विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं।

साथ ही, खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद, 10 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट और 2 से 3 किलोग्राम नीम की खली मिलाने से मिट्टी की जैविक गुणवत्ता सुधरती है और हानिकारक कीटों से सुरक्षा भी मिलती है। इन सभी सामग्री को मिलाने के बाद खेत को समतल कर लें और उसमें छोटे-छोटे बेड (क्यारी) तैयार करें, जिनमें बीज बोए जाने हैं।

बीज का उपचार

खेती में बीज उपचार का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे बीज फफूंद, कीट और रोगों से सुरक्षित रहता है और उसका अंकुरण प्रतिशत भी बढ़ता है। धान के 30 किलोग्राम बीजों के लिए 100 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और 6 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को पानी में मिलाकर 5-6 घंटे के लिए भिगो दें। इसके अलावा, बीज को कीड़ों से बचाने के लिए 250 मिलीलीटर क्लोरपाइरिफॉस (20 प्रतिशत घोल) का छिड़काव करना भी जरूरी है। उपचारित बीजों को किसी छायादार स्थान पर प्लास्टिक शीट पर फैलाकर गीले जूट के बोरे से ढक कर रखें।

घास और खरपतवार से बचाव

धान की नर्सरी में उगने वाली घास और खरपतवार फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अतः इनके नियंत्रण के लिए पाइराजोसल्फ्यूरान ईथाइल नामक घुलनशील चूर्ण का प्रयोग करें। इसे पानी में घोलकर बालू में मिलाएं और इस मिश्रण को खेत में नर्सरी से पहले छिड़क दें। इससे खरपतवार अंकुरण नहीं होगा और फसल को पर्याप्त पोषण मिल सकेगा।

सरकारी योजनाओं से भी लें लाभ

किसानों की सहायता के लिए सरकार के द्वारा भी अनेक कृषि योजनाएं लागू की गई हैं। यदि किसी कारणवश फसल को नुकसान होता है, तो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी सरकारी स्कीमों का लाभ उठा सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।