
धान की सीधी बुवाई की मशीन की विशेषताएँ Publish Date : 27/06/2025
धान की सीधी बुवाई की मशीन की विशेषताएँ
डॉ.आर.एस.सेंगर, डॉ.शालिनी गुप्ता एव गरिमा शर्मा
सरदार वल्लभभाईपटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में धान की सीधी बुवाई प्रारंभ कर दी गई है। धान की सीधी बुवाई को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान फिलीपींस के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय परियोजना पर कार्य किया जा रहा है।
यह परियोजना कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर K.K.सिंह के दिशा निर्देशन में चलायी जा रही है। इस परियोजना की मुख्यअन्वेषक प्रोफेसर शालिनी गुप्ता ने बताया की अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान फिलिपींस से एक्सपेरिमेंट हेतु दो चरणों में विभिन्न जर्मप्लाज्म की 228 व 50 भेजी गई है। इन के परीक्षण उपरांत यह देखा जाएगा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कौन सी जर्मप्लाज्म/धान की सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त हैं। क्योंकि उनके सभी मोरफ़ोलॉजिकल, एग्रोनॉमिक और फिजियोलॉजिकल कैरेक्टर के आधार पर विभिन्न जर्मप्लाज्म की गुणवत्ता को पहचाना जाएगा। कृषि विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान के सहयोग से यह परियोजना विगत दो वर्षों से संचालित की जा रही है।
समय समय पर अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम प्रयोगात्मक कार्यों के अवलोकन के लिए आती है। और धान की गुणवत्ता की परख करती है। जिसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पश्चिम उत्तर प्रदेश में धान की सीधी बुवाई होने वाले किसानों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और लागत में कमी आएगी।
धान भारत की एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है, जिसकी खेती पारंपरिक रूप से रोपाई (transplanting) पद्धति से की जाती है। इसमें पहले पौधशाला में बीज बोकर नर्सरी तैयार की जाती है, फिर खेतों की जुताई व पलेवा कर उसमें रोपाई की जाती है। यह प्रक्रिया श्रम-साध्य, जल-खपत वाली और समय लेने वाली होती है। लेकिन बदलते पर्यावरणीय परिदृश्य, जल संकट और मजदूरों की अनुपलब्धता को देखते हुए अब धान की सीधी बुवाई (Direct Seeding of Rice - DSR) एक उभरती हुई तकनीक है। , जिसमें मशीन की सहायता से बीजों को सीधे खेत में बोया जाता है। इस प्रक्रिया में धान की सीधी बुवाई की मशीन (सीड ड्रिल मशीन) का महत्वपूर्ण योगदान है। सीड ड्रिल मशीन धान की सीधी बोआई के लिए सबसे आम मशीन है यह बीजों को समान गहराई और दूरी पर बोने में मदद करती है।
नीचे इस मशीन की प्रमुख विशेषताएँ दी जा रही हैं:
धान की सीधी बुवाई के फ़ायदे
- जल की बचत होती है
- मशीन से बुवाई करने पर श्रम की बचत होती है
- समय की बचत होती है
- समुचित बीज दर एवं गहराई में बुवाई की जा सकती है
- बीच का जमाव अच्छा होता है
मशीन की बनावट और कार्यप्रणाली
धान की सीधी बुवाई मशीन ट्रैक्टर या पावर टिलर से जुड़कर कार्य करती है।इसमें निम्नलिखित घटक होते हैं:
- बीज डिब्बे (Seed Boxes): इसमें बीज भरे जाते हैं।
- बीज नलिकाएं (Seed Tubes): ये बीज को नीचे मिट्टी में छोड़ती हैं।
- फर्टिलाइज़र टैंक: कुछ मशीनों में खाद डालने की भी व्यवस्था होती है। ।
- डिस्क ओपनर या टाइन: मिट्टी को हल्का सा चीरकर बीज डालने की व्यवस्था करती है।
- व्हील्स: मशीन को आगे बढ़ाने में सहायता करते हैं।
यह मशीन बीज को एक समान गहराई और दूरी पर बोती है, जिससे अंकुरण अच्छा होता हैऔर पौधों की वृद्धि समान होती है।
मल्चिंग और स्ट्रॉ मैनेजमेंट
कुछ उन्नत सीधी बुवाई मशीनों में फसल अवशेष प्रबंधन (residue management) की सुविधा होती है।ये मशीनें भूसे (straw) को हटाए बिना सीधे बुवाई कर सकती हैं, जिससे मिट्टी की ऊपरी परत की नमी बनी रहती है, और पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है।
उर्वरकों के साथ बुवाई
कुछ मॉडल ऐसे होते हैं जिनमेंबीज और उर्वरक दोनों की बुवाई एक साथ की जा सकती है। , जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है, और फसल को आरंभ से ही पोषण मिल जाता है।
बहुउपयोगिता
यह मशीन केवल धान के लिए ही नहीं बल्कि गेहूं, जौ, मक्का, सरसों जैसी अन्य फसलों के लिए भी उपयोगी हो सकती है, जिससे किसानों को वर्षभर उपयोग में लाने की सुविधा मिलती है।
आर्थिक लाभ
हालांकि शुरुआत में मशीन की लागत थोड़ी अधिक हो सकती है,जैसे की ट्रैक्टर चालित सीड ड्रिल मशीन की क़ीमत 50000 - 2लाख रुपये तक हो सकती हैपरंतु जल, श्रम, समय और उत्पादन लागत में बचत होने से यहलंबी अवधि में अत्यधिक लाभदायकसिद्ध होती है। सरकार द्वारा कई योजनाओं के अंतर्गत इन मशीनों परअनुदान (subsidy)भी दिया जाता है।
धान की सीधी बुवाई की मशीन
आधुनिक कृषि तकनीक की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल संसाधनों की बचत करती है। बल्कि किसानों को अधिक उत्पादन, कम लागत और पर्यावरण संरक्षण का अवसर भी प्रदान करती है। जलवायु परिवर्तन, जल संकट और श्रम की कमी जैसी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए DSR तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने की आवश्यकता है।मशीन चुनने से पहले खेत की मिट्टी , आकार और बजट का ध्यान रखें।साथ ही सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाएँ। Agribegri.com जैसे ऑनलाइन प्लेटफ़ार्म या स्थानीय कृषि उपकरण विक्रेताओं से इस मशीन को ख़रीदा जा सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।