
गन्ने में रेड रोट (लाल सड़न) रोग का प्रबन्धन करने के वैज्ञानिक उपाय Publish Date : 03/04/2025
गन्ने में रेड रोट (लाल सड़न) रोग का प्रबन्धन करने के वैज्ञानिक उपाय
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
हमारे आज के इस लेख में गन्ने के प्रमुख रोग रेड रोट (लाल सड़न) का प्रबन्धन के लिए कुछ कृषिगत और प्रबंधन तकनीकें प्रदान की जा रही हैं। किसान भाईयों से अपील है कि इन तकनीकों को अपनाकर गन्ने के रेड रॉट रोग से छुटकारा पाएं।
उन्नत कृषि तकनीकें
1. प्रतिरोधक किस्में: इस रोग के नियंत्रण का सबसे प्रभावी उपाय प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करना है, जिससे रेड रोट की समस्या अपने आप ही कम हो जाती है।
2. संतुलित उर्वरकों का प्रयोगः संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करने से गन्ने की फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और रोग का प्रभाव कम हो जाता है।
3. पानी का संतुलित प्रयोगः सिंचाई के दौरान पानी का संतुलित प्रयोग करने से गन्ने की फसल की वृद्धि और विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रभावी प्रबंधन तकनीकें
1. नियमित निरीक्षणः गन्ने की फसल का नियमित निरीक्षण करने से रेड रोट की समस्या का पता रोग की शुरूआत में ही लगाया जा सकता है।
2. फसल की स्वच्छताः गन्ने की फसल की स्वच्छता बनाए रखने से रेड रोट की समस्या कम की जा सकती है।
3. कीटनाशकों का प्रयोगः कीटनाशकों का प्रयोग करने से रेड रोट की समस्या कम हो सकती है, लेकिन इनका प्रयोग सावधानी से और दिए गए निर्देशों के अनुसार ही करना चाहिए।
रासायनिक नियंत्रण
1. कॉपर आधारित कीटनाशकः कॉपर आधारित कीटनाशकों का प्रयोग करने से रेड रोट की समस्या कम की जा सकती है।
2. जिंक आधारित कीटनाशकः जिंक आधारित कीटनाशकों का प्रयोग करने से भी रेड रोट की समस्या कम हो सकती है।
रोग का कीट का जैविक नियंत्रण
1. ट्राइकोडर्माः ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करने से रेड रोट की समस्या कम हो सकती है।
2. पेसिलोमाइसेसः पेसिलोमाइसेस जैसे जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करने से भी रेड रॉट की समस्या को प्रभावी रूप से कम किया जा सकता है।
प्रदेश के सभी किसान भाईयों के लिए फसल पर स्प्रे करने से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी-
गन्ने की 0238 गन्ना वैरायटी में रोग अधिक होने के कारण हमे अपनी फसल में कीटनाशक/फंगस की दवा व माइक्रोन्यूट्रेंट का स्प्रे लगातार करना चाहिए होता है। स्प्रे का अच्छा एवं प्रभावी रिजल्ट प्राप्त करने के लिए दावईयो का फार्मूला-
सबसे पहले एक बाल्टी में पानी लेकर उसमे उर्वरक डालेंगे जैसे- दचा या यूरिया, माइक्रोन्यूट्रेंट जो भी दानेदार होगा, उसके बाद दूसरे नंबर पर पाउडर वाली दवाई जो भी कीटनाशक/फंगस वाली हो उसे मिलाए जिसके ऊपर- WG, WDG, SP, SG लिखा हो। तीसरे नंबर पर वह दवाई जो लिक्विड हो कीटनाश्क/फंगस को मिलायेगे जिनके ऊपर SC, CS, SL, EC, OD or SE लिखा हो आदि को मिलाए। उसके बाद दवाई को 250 से 300 लीटर पानी के घोल में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में स्प्रे करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।