मक्का की फसल को फॉल आर्मी वर्म कीट से बचाने के उपाय      Publish Date : 19/03/2025

मक्का की फसल को फॉल आर्मी वर्म कीट से बचाने के उपाय

                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

भारत में अधिकतर किसानों के द्वारा मक्का की खेती की जाती है और इससे वह लाभ भी कमाते हैं, परन्तु मक्का की फसल में कई प्रकार के रोग और कीट लग लाने के कारण किसानों को इसकी खेती में नुकसान भी उठाना पड़ता है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने मक्का में लगने वाले कीट फॉल आर्मी वर्म कीट से बचाव करने के उपायों के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि किसान इस बात का ध्यान रखें कि सबसे पहले तो मक्का की फसल रोगग्रस्त होने ही नही पाए और यदि हो जाती है तो वह वैज्ञानिकों के द्वारा सुझाये गये उपायों को जरूर आजमाएं।

मक्का में लगने वाले फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान

                                                

  • हरे, जैतून, हल्के गुाबी अथवा भूरे रंग के लार्वा।
  • प्रत्येक लार्वा के उदर खंड़ में चार काले रंग के धब्बे।

लार्व के सिर पर आंखों के बीच ‘‘/’’ आकार की संरचना।

फॉल आर्मी वर्म के लार्वा शुरूआत में पत्तियों की सतह को खुरचकर खाते हैं।

लर्वा के खाने की प्रवृत्ति के कारण मक्का की पत्तियों पर कटे-फटे छिद्र बन जाते हैं।

फसल को कीट से बचाने के उपाय

  • फॉल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 10 फेरोमोन टेपों का प्रयोग करना लाभकारी पाया गया है।
  • 5 ग्राम प्रति नीम बीज कर्नेल इमल्शन अथवा एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम का 5 मिलीलीटर पानी में घोल बनाकर इसका छिड़काव करें।

उपरोक्त के अलावा किसान निम्न कीटनाशकों में से किसी एक का छिड़काव भी कर सकते हैं-

  • स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस.सी. प्रति 0.5 मिली/लीटर पानी की दर से।
  • क्लोरें ट्रोनिलिप्रोएल 18.5 एस.सी./ 0.4 मिलीरुलीटर पानी की दर से।
  • थियामेथॉक्सम 12.6 प्रतिशत + लैम्ब्डा साइहैलोथ्रीन 9.5 प्रतिशत जेड सी / 0.25 मिली/लीटर पानी की दर से।

इस कीट के लार्वा का अधिक प्रकोप होने पर केवल विशेष चारा फंसाने के लिए जहरीला चुग्गा ही प्रभावी होता है। 2 से 3 लीटर पानी में 10 कि.ग्रा. चावल की भूसी और 2 कि.ग्रा. गुड़ मिलाकर मिश्रण को 24 घंटे तक (किण्वन) के लिए रखें। प्रयोग करने से आधा घंटा पूर्व 100 ग्राम थायोडिकार्ब 75 प्रतिशत डब्ल्यू पी को मिलाकर 0.5-1 से.मी. व्यास के आकार की गोलियाँ तैयार कर शाम के समय पौधे की गाभ में प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।