केसर की इनडोर खेती      Publish Date : 13/03/2025

                      केसर की इनडोर खेती                  

                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान राकेश कुमार एरोपोनिक तकनीक से 300 स्क्वायर फीट क्षेत्र में केसर की इनडोर खेती करते हैं और वह कमरे में उगाए गए इस केसर को बाजार में 5 लाख रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं।

                                         

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान राकेश कुमार ने परंपरागत खेती को एक नए तरीके से करना शुरू किया है। मशरूम सिटी के नाम से प्रसिद्ध सोलन में मशरूम की खेती का बोलबाला है, लेकिन राकेश कुमार ने यहां केसर की इनडोर खेती कर एक नया उदाहरण पेश किया है। उनके अनुसार, वर्तमान में भारत में केसर की मांग बहुत अधिक है, लेकिन सप्लाई कम होने के कारण अधिकतर केसर ईरान से आयात किया जाता है। उन्होंने इस अवसर को पहचाना और वर्ष 2022 में छोटे स्तर पर एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती शुरूआत की है।

वर्तमान में वह 300 स्क्वायर फीट के क्षेत्र में एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती कर रहे हैं और इस व्यवसाय से लाखों रुपये का टर्नओवर प्राप्त कर रहे हैं। उनका लक्ष्य आने वाले वर्षों में इस खेती को 1000 स्क्वायर फीट तक विस्तारित करने का है। ऐसे में, आज के अपने इस लेख में हमारे कृषि विशेषज्ञ आपको केसर की खेती के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करने जा रहें हैं। इस जानकारी का लाभ उठाकर आप भी इनडोर केसर की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं-

एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती

प्रगतिशील किसान राकेश कुमार की यात्रा कभी भी आसान नहीं रही है। शुरुआत में वह अपने पैकृक व्यवसाय शू व्यवसाय से जुड़े हुए थे, लेकिन जब उनके पिता का निधन हुआ, तो उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने और आर्थिक संकट से उबरने के लिए एक लाभकारी व्यवसाय की तलाश शुरू कर दी। इसी दौरान, उन्होंने एरोपोनिक तकनीक के बारे में जाना और रिसर्च किया तो उन्हें ज्ञात हुआ कि इस तकनीक के माध्यम से न केवल कम स्थान में अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है, बल्कि इस तकनीक से केसर जैसी मूल्यवान फसल भी उगाई जा सकती है। यह जानकारी उनके लिए एक नए अवसर की तरह थी।

मालूम हो कि एरोपोनिक तकनीक एक आधुनिक खेती करने का एक अभिनव तरीका है, जिसके माध्यम से मिट्टी के बिना ही पौधों को उगाया जाता है। इस तकनीक में पौधों की जड़ों को हवा में लटकाया जाता है और उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर पानी का छिड़काव किया जाता है।

केसर की खेती की शुरुआत

प्रगतिशील किसान राकेश कुमार ने वर्ष 2022 में अपने थोड़े से क्षेत्र में प्रयोग के तौर पर एरोपोनिक तकनीक से केसर की इनडोर खेती शुरूआत की। यह प्रयोग करने से उन्हें लाभ हुआ और उन्होंने वर्ष 2023 से 300 स्क्वायर फीट में एरोपोनिक तकनीक से कश्मीरी केसर की इनडोर खेती करना शुरू दी। उन्होंने इसके लिए केसर के बल्ब (बीज) कश्मीर से मंगवाए। एरोपोनिक तकनीक में शुरुआती लागत अधिक होती है, लेकिन गौरव ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत लोन लेकर केसर की खेती की शुरुआत की-

एरोपोनिक तकनीक का लाभ

                                                 

एरोपोनिक तकनीक के माध्यम से खेती करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि खेती की इस पद्वति में कम स्थान में अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। प्रगतिशील किसान राकेश कुमार ने बताया कि 300 स्क्वायर फीट में एरोपोनिक तकनीक से खेती शुरू करने में लगभग 7-8 लाख रुपये की लागत आती है। हालांकि, पहले साल में उपज कम प्राप्त होती है, लेकिन 3-4 साल में सेटअप की पूरी लागत निकल जाती है और इसके बाद यह खेती काफी लाभदायक साबित होती है।

तापमान और पर्यावरण का प्रबंधन

केसर की खेती के लिए तापमान और पर्यावरण का प्रबंधन करना बहुत महत्वपूर्ण काम होता है। प्रगतिशील किसान राकेश कुमार ने बताया कि कश्मीर में अगस्त से नवंबर के दौरान जितना तापमान होता है, उतना ही तापमान एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती करने के लिए मेंटेन करना पड़ता है। यानी 8 से 23 डिग्री तापमान में केसर की खेती की जाती है. इसके लिए इनडोर फार्म में तापमान नियंत्रण की व्यवस्था की जाती है।

केसर की मांग और बाजार

                                                

भारत में केसर की मांग बहुत अधिक है, लेकिन इसकी सप्लाई मांग के सापेक्ष बहुत कम है, जिसके चलते भारत में मांग का लगभग 94 प्रतिशत केसर ईरान से आयात किया जाता है, जिसके कारण यह बहुत महंगा होता है। प्रगतिशील किसान राकेश कुमार ने बताया कि होलसेल में केसर लगभग 2.5 लाख रुपये प्रति किलो बिकता है, लेकिन वह इसे रिटेल में बेचते हैं, जिसकी कीमत लगभग 5 लाख रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है। यह उनके लिए एक बड़ा लाभदायक व्यवसाय साबित हुआ है।

भविष्य की योजनाएं

प्रगतिशील किसान राकेश कुमार की भविष्य की योजना 1000 स्क्वायर फीट में केसर की इनडोर खेती करने की है। वह चाहते हैं कि और अधिक किसान इस तकनीक को अपनाएं और केसर की खेती करके अपनी आय बढ़ाए और केसर के आयात पर निर्भरता को कम करें। उनका मानना है कि यदि किसान केसर के बल्ब तैयार करना सीख जाएं, तो इसकी लागत बहुत कम हो जाती है और वह 5-6 साल में दूसरे किसानों को केसर के बल्ब बेचकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।