लगातार कम होता दलहन का उत्पादन      Publish Date : 10/03/2025

              लगातार कम होता दलहन का उत्पादन

                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

भारत सरकार प्रत्येक वर्ष दाल का आयात बड़े पैमाने पर करती है, जिसमें किसानों से उड़द, मसूर और तुअर आदि दालों की 100 प्रतिशत तक खरीदारी करने का वायदा किया गया है। लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य एसपी की तुलना में खुले बाजार में ज्यादा कीमत मिलने से जरूरतभर सरकारी खरीदारी नहीं हो पा रही है और इसका सीधा असर बफर स्टॉक पर पढ़ने लगा है।

                                             

अब दाल का भंडार अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। यह खतरे का संकेत है, हालांकि अच्छी बात है कि बफर स्टॉक का हाल और दाल की कीमतों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने पीली मटर की दाल के आयात से भरपाई करने का प्रयास किया है। एक साल में 67 लाख टन से अधिक दाल का आयात किया गया, जिसमें 31 लाख टन सिर्फ पीली मटर की दाल है। साथ ही इस दाल की ड्यूटी मुक्ति की अवधि को भी बढ़ा दिया गया है।

इस दाल के मूल में वृद्धि पर नियंत्रण तो लगा है, लेकिन बड़ा सवाल है कि यह कब तक लग पाएगा। बफर स्टॉक से किसी वस्तु को उस समय निकाला जाता है जब मांग की तुलना में उसकी आपूर्ति कम हो या उसके मूल्य बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है। देश में दाल की खपत प्रत्येक वर्ष करीब 300 लाख टन है, लेकिन इतनी मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाता है। ऐसे में किसानों से एमएसपी पर खरीदारी और आयात के माध्यम से दाल के भंडार को समृद्ध किया जाता है।

दाल की कीमतों को नियंत्रित करते हुए भारत की वर्तमान आबादी को सहज तरीके से आपूर्ति के लिए बफर स्टॉक में कम से कम 35 लाख टन दाल होनी चाहिए, ताकि महंगाई की स्थिति में न्यूनतम मूल्य पर उपभोक्ताओं तक पहुंच कर बाजार में सामजस्य स्थापित किया जा सके।

वर्ष 2021-22 में यह स्टॉक 30 लाख टन, वर्ष 2022-23 में 28 लाख टन था। किंतु वर्तमान में बफर स्टॉक में आधे से भी कम दाल उपलब्ध है। सरकारी एजेंसी या नाफेड एवं नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन के स्टॉक में सिर्फ 14.5 लाख टन दाल ही बची हुई है। देश में सबसे अधिक तुअर दाल की मांग है, किंतु बफर स्टॉक में इसकी मात्रा सिर्फ 35,000 टन ही है तो ऐसे में सरकार की चिंता बढ़ना लाजिमी है। खरीदारी में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है।

तुअर दाल की खरीदारी 13.5 लाख टन करनी है। एजेंसियों ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में दाल की खरीद शुरू कर दी है।

तुअर की एमएसपी 7,550 रुपए कुंतल रखी गई है

एमएसपी पर दालों की खरीदारी थम जाने के चलते बफर स्टॉक पर असर पड़ा है। सरकार ने तूअर दाल की एमएसपी वर्ष 2024-25 के लिए 7,550 रुपए प्रति कुंतल तय कर रखी है। इसके पहले के वर्षों में मंडी में इसकी कीमत लगभग 9000 से ₹10000 प्रति कुंतल तक रही है, जिसके कारण किसानों ने सरकारी खरीद एजेंसी को दाल बेचने से इंकार कर दिया था और खुले बाजार में अपनी दाल को बेचा था।

मूंग, मसूर और चना दाल के स्टॉक में भी आई गिरावट

                                            

अन्य दालों के स्टॉक की स्थिति भी बहुत ठीक नहीं है। मसूर, मूंग और चना दाल के स्टॉक में भी गिरावट आई है। बफर स्टॉक में उड़द की दाल 9,000 टन है जबकि केंद्र ने इसके लिए चार लाख टन का मानक तय कर रखा है। चना दाल भी कम से कम 10 लाख टन होनी चाहिए, लेकिन फिलहाल यह दाल स्टॉक में सिर्फ 97 लाख टन ही है। हालांकि मसूर दाल की स्थिति थोड़ी ठीक है। मानक 10 लाख टन की तुलना में बफर स्टॉक 5 लाख टन से ज्यादा है। केंद्र सरकार ने इसकी भी खरीदारी बढ़ने का निर्देश दिया है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।