
बहुत मंहगा बिकता है काला चावल, उगाने के लिए अपनाएं यह विधि- Publish Date : 09/05/2024
बहुत मंहगा बिकता है काला चावल, उगाने के लिए अपनाएं यह विधि-
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
अधिक कीमत और कई पोषक तत्वों से लैस होने के चलते काला धान की बाजार में खूब मांग है। खरीफ सीजन में काला धान की बुवाई की तैयारी कर रहे किसान आधुनिक विधियां अपनाकर बंपर उपज हासिल कर सकते हैं। काला धान की किस्मों में कालाबाती और चखाओ बहुत पॉपुलर हैं। काला चावल की बाजार में कीमत 250 रुपये से 500 रुपये किलो तक मिल जाती है।
खरीफ सीजन में काला धान की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार करना बहुत जरूरी होता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार धान की फसल के लिए खेत की पहली जतुाई मिट्टी पलटने वाले हल से और 2-3 जतुाई कल्टीवेटर से करके खेत को तैयार करना चाहिए। इसके अलावा खेत की मजबूत मेड़बंदी भी करनी चाहिए, जिससे कि बारिश का पानी अधिक समय तक खेत में रोका जा सके। धान की रोपाई से पहले खेत को पानी भरकर जतुाई कर देनी चाहिए और जतुाई करते समय खेत को समतल करना बिलकुल न भूलें।
दूसरी धान से बड़ा होता है इसका पौधा
काला चावल की पैदावार सबसे पहले चीन में हुई थी। बाद में यह भारत के मणिपुर राज्य में उगाया जाने लगा। इस प्रजाति को मणिपुर काला धान या चखाओ काला धान के नाम से जाना जाता है। इसे अनुकूल मौसम और जलवायु के चलते असम और सिक्किम और ओडिशा समेत कुछ अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में भी उगाया जाता है। यह काला धान 100 से 120 दिन में तैयार हो जाता है और इसका पौधा पौधा करीब 4.5 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो कि आम धान फसल के पौधे की तुलना में बड़ा होता है।
जैविक विधि से उगाई जाती है धान
काला चावल को अपना काला आकर्षक रंग एंथोसायनिन से मिलता है जो कि एक प्राकृतिक काले रंग का रंगद्रव्य जो इन चावलों को असाधारण एंटीऑक्सीडेंट और अन्य हेल्थ बेनेफिट्स प्रदान करने वाला बना देता है। इस चावल को जैविक तरीके से भी उगाया जाता है, जिससे इसकी न्यूट्रीशन वैल्यू और भी बढ़ जाती है। किसान काला धान बुवाई के दौरान जीबामृत, वर्मीकम्पोस्ट और जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। इसकी खेती करने में में रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने से बचा जाता है।
एक एकड़ में 15 क्विंटल तक धान का उत्पादन
काला धान की फसल का भी आम धान फसल की तरह ही बाली की शुरुआत और दाना भराव होता है। इसका उत्पादन औसतन प्रति एकड़ 12-15 क्विंटल होता है। काले चावल का इस्तेमाल ज्यादातर औषधि के रूप में खीर के रूप में किया जाता है। काला चावल का आटा, सूजी, सिरप, बीयर, वाइन, केक, ब्रेड, लड्डू और अन्य मीठे खाद्य पदार्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट समेत कुछ अन्य वस्तुओं को बनाने में भी किया जाता है।
500 रुपये किलो तक कीमत मिलती है
काला धान की खेती आम धान की तरह से ही की जाती है, लेकिन इसका चावल अन्य किस्मों की तुलना में दोगुनी कीमत पर बिकता है। आमतौर पर सामान्य धान का चावल 50-60 रुपये प्रति किलो में बिकता है. जबकि, काला चावल बाजार में 200 रुपये से 500 रुपये किलो तक बिकता है। इसे खाड़ी देशों के साथ ही कई अन्य यूरोपीय देशों में भी निर्यात किया जाता है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।